इस सच्ची घटना को पढ़कर आप अपने आंसू नही रोक पाएंगे || 2018

अपने बच्चों के लिए एक पिता का प्यार देखिए कैसे बया किया गया है

कहानी कुछ इस प्रकार से है

 ट्रेन में एक 18-19 वर्षीय खूबसूरत लड़की चढ़ी जिसका सामने वाली बर्थ पर रिजर्वेशन था ..उसके पापा उसे छोड़ने आये थे। .अपनी सीट पर बैठ जाने के बाद उसने अपने पिता से कहा “डैडी आप जाइये अब, ट्रेन तो दस मिनट खड़ी रहेगी यहाँ दस मिनटका स्टॉपेज है।” .उसके पिता ने उदासी भरे शब्दों के साथ कहा “कोई बात नहीं बेटा, 10 मिनट और तेरे साथ बिता लूँगा, अब तो तुम्हारे क्लासेज शुरू हो रहे हैं काफी दिन बाद आओगी तुम।”
लड़की शायद अध्ययन कर रही होगी, क्योंकि उम्र और वेशभूषा से विवाहित नहीं लग रही थी ।ट्रेन चलने लगी तो उसने खिड़की से बाहर प्लेटफार्म पर खड़े पिता को हाथ हिलाकर बाय कहा :-“बाय डैडी…. अरे ये क्या हुआ आपको !अरे नहीं प्लीज” 

अपने बच्चों के लिए एक पिता का प्यार देखिए कैसे बया किया गया है
अपने बच्चों के लिए एक पिता का प्यार देखिए कैसे बया किया गया है

 

पिता की आँखों में आंसू थे।

ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ती जा रही थी और पिता रुमाल से आंसू पोंछते हुए स्टेशन से बाहर जा रहे थे।
लड़की ने फोन लगाया..”हेलो मम्मी.. ये क्या है यार!जैसे ही ट्रेन स्टार्ट हुई, डैडी तो रोने लग गये..
अब मैं नेक्स्ट टाइम कभी भी उनको सी-ऑफ के लिए नहीं कहूँगी.भले अकेली आ जाउंगी ऑटो से..अच्छा बाय..पहुंचते ही कॉल करुँगी.डैडी का ख्याल रखना ओके।” .मैं कुछ देर तक लड़की को सिर्फ इस आशा से देखता रहाकि पारदर्शी चश्मे से झांकती उन आँखों से मुझे अश्रुधारा दिख जाए पर मुझे निराशा ही हाथ लगी.उन आँखों में नमी भी नहीं थी।
कुछ देर बाद लड़की ने फिर किसी को फोनलगाया- “हेलो जानू कैसे हो…. मैं ट्रेन में बैठ गई हूँ..हाँ अभी चली है यहाँ से,कल अर्ली-मोर्निंग पहुँच जाउंगी.. लेने आ जाना.लव यू टू यार,मैंने भी बहुत मिस किया तुम्हे.. बस कुछ घंटे और सब्र कर लो कल तो पहुँचही जाऊँगी।”

मैं मानता हूँ दोस्तों…कि


आज के युग में बच्चों को उच्च शिक्षा हेतु बाहर भेजना आवश्यक है पर इस बात में भी कोई दो राय नहीं कि इसके कई दुष्परिणाम भी हैं।
मैं यह नहीं कह रहा कि बाहर पढने वाले सारे लड़के लड़कियां ऐंसे होते हैं। मैं सिर्फ उनकी बात कर रहा हूँ जो पाश्चात्यसंस्कृति की इस हवा में अपने कदम बहकने से नहीं रोक पाते
और उनको माता-पिता, भाई- बहन किसी का प्यार याद नहीं रह जाता सिर्फ एक प्यार ही याद रहता है!!!
वो ये भी भूल जाते हैं कि उनके माता-पिता ने कैसे-कैसे साधनों को जुटा कर और किन सपनों को संजो कर अपने दिल के टुकड़े को अपने से दूर पढने भेजा है।
लेकिन बच्चे के कदम बहकने से उसका परिणाम क्या होता है??वो ये नहीं जानते हैं.,
इसलिये सभी से रिक्वेस्ट हैवो अपने माता पिता के जज्बातों के साथ खिलवाड़ नहीं करें.!!खासकर लड़कियां… क्योंकि लड़की की अपनी इज्जत के साथ सारे परिवार की इज्जत जुडी होती है..।
धन्यवाद
यह कहानी अगर आपके दिल को दस्तक दिया है तो आप कमेंट में जरूर बताये।

मुन्सी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता 2018

मुन्सी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता 2018

_ख्वाहिश नहीं मुझे_ _मशहूर होने की,
_आप मुझे पहचानते हो_ _बस इतना ही काफी है._

_अच्छे ने अच्छा और_ _बुरे ने बुरा जाना मुझे,_
_क्यों की जिसकी जितनी जरूरत थी_ _उसने उतना ही पहचाना मुझे._

_जिन्दगी का फलसफा भी_ _कितना अजीब है,_
_शामें कटती नहीं और_ _साल गुजरते चले जा रहें है._

_एक अजीब सी_ _दौड है ये जिन्दगी,_
_जीत जाओ तो कई_ _अपने पीछे छूट जाते हैं और_

_हार जाओ तो_ _अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं._
_बैठ जाता हूँ_ _मिट्टी पे अकसर,_

_क्योंकि मुझे अपनी_ _औकात अच्छी लगती है._
_मैंने समंदर से_ _सीखा है जीने का सलीका,_

_चुपचाप से बहना और_ _अपनी मौज मे रेहना._
_ऐसा नहीं की मुझमें_ _कोई ऐब नहीं है,_

_पर सच कहता हूँ_ _मुझमें कोई फरेब नहीं है._
_जल जाते है मेरे अंदाज से_ _मेरे दुश्मन,_

_क्यों की एक मुद्दत से मैंने, .... न मोहब्बत बदली 
और न दोस्त बदले हैं._ _एक घडी खरीदकर_
_हाथ मे क्या बांध ली_ _वक्त पीछे ही_
_पड गया मेरे._

_सोचा था घर बना कर_ _बैठुंगा सुकून से,_
_पर घर की जरूरतों ने_ _मुसाफिर बना डाला मुझे._

_सुकून की बात मत कर_******_ऐ गालिब,_
_बचपन वाला इतवार_ _अब नहीं आता._ _जीवन की भाग दौड मे_

_क्यूँ वक्त के साथ रंगत खो जाती है ?_ 
_हँसती-खेलती जिन्दगी भी_ _आम हो जाती है._

_एक सवेरा था_ _जब हँसकर उठते थे हम,_
_और आज कई बार बिना मुस्कुराये_ _ही शाम हो जाती है._

_कितने दूर निकल गए_ _रिश्तों को निभाते निभाते,_
_खुद को खो दिया हम ने_ _अपनों को पाते पाते._

_लोग केहते है_ _हम मुस्कुराते बहुत है,_
_और हम थक गए_ _दर्द छुपाते छुपाते._

_खुश हूँ और सबको_ _खुश रखता हूँ,_
_लापरवाह हूँ फिर भी_ _सब की परवाह करता हूँ._

_मालूम है_
_कोई मोल नहीं है मेरा फिर भी_
_कुछ अनमोल लोगों से_
_रिश्ता रखता हूँ._
🙏👬👭👫👬







Thanks Sir Yogesh Parmar